बिलासपुर का भाग्य कभी तो जागेगा: कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, मुख्य सचिव और रक्षा सचिव को किया तलब

बिलासपुर/रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बहुप्रतीक्षित बिलासा देवी केंवट एयरपोर्ट के विस्तार कार्यों में हो रही देरी पर केंद्र और राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “बिलासपुर का भाग्य कभी तो जागेगा। अगर सरकार कुछ नहीं कर पाएगी तो स्पष्ट स्टेटमेंट दे दीजिए, हम पीआईएल खत्म कर देते हैं।”
एयरपोर्ट के 3C से 4C कैटेगरी में अपग्रेडेशन, नाइट लैंडिंग की सुविधा, और मेट्रो शहरों के लिए डायरेक्ट फ्लाइट्स की मांग लंबे समय से लटकी हुई है। हाईकोर्ट में इस संबंध में दो जनहित याचिकाएं लंबित हैं, जिन पर सुनवाई के दौरान सरकारों की उदासीनता पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की।
रक्षा मंत्रालय और जमीन के अटके मसले पर कोर्ट नाराज
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि एयरपोर्ट के रनवे विस्तार समेत अन्य कार्यों के लिए रक्षा मंत्रालय से 286 एकड़ जमीन ट्रांसफर की प्रक्रिया अटकी हुई है। राज्य सरकार चाहती है कि पहले जमीन उसके नाम ट्रांसफर हो, तभी निर्माण कार्य शुरू हो सके, जबकि रक्षा मंत्रालय इसकी एवज में अधिक मूल्य की मांग कर रहा है।
कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “जब केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार है, तो फिर आपसी समन्वय में इतनी देरी क्यों हो रही है?” कोर्ट ने इस मसले पर अफसरों की कार्यशैली और बॉडी लैंग्वेज पर भी सवाल उठाए और कहा कि अधिकारियों में काम करने की इच्छा शक्ति ही नजर नहीं आ रही है।
तस्वीरें देखकर भड़के चीफ जस्टिस
सुनवाई के दौरान जब राज्य सरकार की ओर से विकास कार्यों की कुछ तस्वीरें कोर्ट में प्रस्तुत की गईं, तो चीफ जस्टिस सिन्हा ने नाराजगी जताते हुए कहा, “क्या दिख रहा है इन तस्वीरों में? सिर्फ एक गाड़ी और दो-चार लोग खड़े हैं। ये काम है?”
कोर्ट ने कहा कि हर बार अगली तारीख पर समय मांगा जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं होता। ऐसा लगता है कि जब कोई नई सरकार आएगी, तभी बिलासपुर का भाग्य जगेगा।
मुख्य सचिव और रक्षा सचिव को तलब किया
कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और भारत सरकार के रक्षा सचिव को तलब किया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वे अगली सुनवाई में हलफनामे के साथ विस्तृत प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करें। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस बार केवल कागजी कार्रवाई से बात नहीं बनेगी, ठोस कार्य योजना और समयसीमा के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
चार साल में भी अधूरी बुनियादी सुविधाएं
बिलासपुर एयरपोर्ट को चालू हुए चार साल बीत चुके हैं, लेकिन नाइट लैंडिंग, सीधी उड़ानों की सुविधा और रनवे विस्तार जैसी मूलभूत सुविधाएं अब भी अधूरी हैं। विकास कार्यों की गति बेहद धीमी है और जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया भी अधर में लटकी हुई है।