ट्रंप के लौटते ही फिर भड़की टैरिफ वॉर: अमेरिका-चीन में तनातनी, 90 लाख नौकरियाँ खतरे में

न्यूयॉर्क। अमेरिका और चीन के बीच चल रहा टैरिफ वॉर डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद और भी तीव्र हो गया है। ट्रंप प्रशासन द्वारा चीनी निर्यात पर टैरिफ बढ़ाने के फैसले ने चीन की अर्थव्यवस्था को मुश्किल में डाल दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह स्थिति बनी रही तो चीन में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की 90 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ वॉर से चीन की आर्थिक वृद्धि दर पर भी भारी असर पड़ेगा। फिलहाल चीन पहले ही बेरोजगारी की दोहरे अंकों में पहुंची दर से जूझ रहा है। विश्वविद्यालय और कॉलेजों से पास आउट हो रहे युवाओं को नौकरी पाने में भारी दिक्कतें आ रही हैं।
आर्थिक मंदी की ओर बढ़ता ड्रैगन
इन्वेस्टमेंट बैंक Natixis की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, अगर अमेरिका की मौजूदा टैरिफ नीति जारी रही, तो चीन से अमेरिका को किया जाने वाला निर्यात 50% तक घट सकता है। ऐसी स्थिति में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की 6 मिलियन (60 लाख) नौकरियाँ प्रभावित होंगी। यदि टैरिफ वॉर आगे चलकर फुल-स्केल ट्रेड वॉर में बदलता है, तो 9 मिलियन (90 लाख) नौकरियाँ जा सकती हैं।
चीन में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में करीब 10 करोड़ लोग कार्यरत हैं। ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर नौकरी छिनना देश की आर्थिक स्थिरता को गहरा झटका दे सकता है। इसके साथ ही चीन की रियल एस्टेट ग्रोथ पहले से ही धीमी हो चुकी है, जो कुल आर्थिक विकास का एक बड़ा हिस्सा है।
गोल्डमैन सैक्स का बड़ा दावा: 1.6 करोड़ नौकरियाँ खतरे में
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, अगर अमेरिका और चीन के बीच तनाव यूँ ही जारी रहा, तो 1.6 करोड़ नौकरियाँ खतरे में पड़ सकती हैं। खासकर मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल सेक्टर पर इसका सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा। इससे लेबर मार्केट पर भारी दबाव पड़ेगा और बेरोजगारी का संकट और गहरा सकता है।
टकराव को रोकने की कोशिशें जारी
हालांकि, दोनों देशों के बीच हाल ही में कुछ बातचीत हुई है और अस्थायी रूप से टैरिफ को कम करने पर सहमति बनी है, क्योंकि अमेरिका और चीन दोनों ही एक पूर्ण व्यापार युद्ध से बचना चाहते हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि अगर कोई स्थायी समाधान नहीं निकला, तो यह टकराव वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है।