“सनातन धर्म प्रचार और जन कल्याण मेरी पहली प्राथमिकता है” – पंडित अजय उपाध्याय जी (पर्चा वाले बाबा)

सारंगढ़ | छत्तीसगढ़ की धार्मिक भूमि पर “पर्चा वाले बाबा” के नाम से विख्यात पंडित अजय उपाध्याय जी आज जनसेवा, धर्म प्रचार और सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान का एक सशक्त माध्यम बन चुके हैं। जन-जन की समस्याओं का समाधान करने वाले यह संत, आज भक्ति और सेवा के पर्याय बन चुके हैं।
जहां आस्था है, वहीं समाधान भी है: पंडित जी का दरबार
ग्राम गोडम (सारंगढ़) में मां संतोषी माता मंदिर परिसर में स्थित पंडित अजय उपाध्याय जी का दरबार सप्ताह में मंगलवार से शनिवार तक चलता है।
- समय:
- सुबह: 8:30 AM से 12:00 PM
- शाम: 3:00 PM से 7:00 PM
इस दरबार में दूर-दराज़ से भक्तजन अपनी समस्याएं लेकर पहुंचते हैं, जहां बाबा जी बिना किसी शुल्क के “पर्चे” के माध्यम से समस्याओं का समाधान करते हैं। उनका कहना है कि यह समाधान ईश्वर, धर्मग्रंथों और साधना से प्राप्त दिव्य ज्ञान पर आधारित होते हैं।
चित्रकूट की गोद से निकले सनातन धर्म के दीपक
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के ग्राम पहाड़ी में जन्मे पंडित अजय उपाध्याय बचपन से ही धर्म और आध्यात्मिक चेतना से जुड़े हुए हैं। उनके पिता देवदत्त उपाध्याय और माता विलासिनी उपाध्याय भी धर्म-सेवा में निरंतर लगे रहे, जिनसे उन्हें धार्मिक संस्कार विरासत में मिले।
महज 7 वर्ष की उम्र में आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले पंडित जी ने 2017 में पहली मद्भागवत कथा का आयोजन किया, जो उनके आध्यात्मिक अभियान की शुरुआत बनी। इसके बाद उनका जीवन धर्म प्रचार, समाज सेवा और जनकल्याण को समर्पित हो गया।
शिक्षा और साधना का संगम
चित्रकूट स्थित राम संस्कृति महाविद्यालय गुरुकुल से शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने न केवल वेद-पुराण और धर्मशास्त्र का गहन अध्ययन किया, बल्कि भारतीय संस्कृति के मूल्यों को आत्मसात किया। यह शिक्षा केवल ज्ञान नहीं, एक जीवनशैली बन गई।
“पर्चा वाले बाबा” – एक आस्था, एक संकल्प
आज “पर्चा वाले बाबा” केवल एक नाम नहीं, बल्कि सनातन धर्म, सेवा, और श्रद्धा का प्रतीक बन चुके हैं। बाबा जी का कहना है —
“मैं केवल कथा वाचक नहीं, बल्कि ईश्वर की इच्छा से लोगों के दुख को समझने और उसका समाधान करने का एक माध्यम हूं।”
युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत
धार्मिक संघर्ष, पारिवारिक कठिनाइयों और आत्मिक साधना से पंडित अजय उपाध्याय जी ने यह सिखाया है कि धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि सेवा, तप और समर्पण है। उनका जीवन उन युवाओं के लिए मार्गदर्शक है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने धर्म और कर्तव्य को जीवित रखते हैं।
अगर आप भी धर्म, सेवा और समाधान की तलाश में हैं, तो “पर्चा वाले बाबा” के दरबार की ओर रुख करें — जहां विश्वास, समाधान और धर्म का संगम होता है।
स्थान: मां संतोषी माता मंदिर परिसर, ग्राम गोडम, सारंगढ़
सम्पर्क:-[7999351034]