आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर: SC-ST कर्मचारियों को मिलेगा लाभ

नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के कर्मचारियों को अपनी सीधी भर्ती और पदोन्नति (प्रमोशन) प्रक्रियाओं में आरक्षण देने की औपचारिक नीति को मंजूरी दे दी है। यह व्यवस्था 23 जून, 2025 से प्रभावी हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट के सभी कर्मचारियों को 24 जून को जारी एक आधिकारिक सर्कुलर के माध्यम से इसकी जानकारी दी गई।
नई आरक्षण नीति के तहत, SC वर्ग के लिए 15% और ST वर्ग के लिए 7.5% पद आरक्षित किए जाएंगे। यह नीति न्यायिक पदों को छोड़कर सभी गैर-न्यायिक पदों, जैसे रजिस्ट्रार, वरिष्ठ निजी सहायक, सहायक लाइब्रेरियन, जूनियर कोर्ट असिस्टेंट, जूनियर कोर्ट अटेंडेंट और चेंबर अटेंडेंट आदि पर लागू होगी।
मुख्य न्यायाधीश का समर्थन
भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गवई ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि जब देश के अन्य सरकारी संस्थानों और कई उच्च न्यायालयों में SC/ST के लिए आरक्षण पहले से लागू है, तो सुप्रीम कोर्ट इससे अछूता क्यों रहे? उन्होंने कहा,
“हमारे निर्णयों में हमने हमेशा सकारात्मक कार्रवाई का समर्थन किया है, अब समय है कि हमारे संस्थागत कार्य भी उन्हीं सिद्धांतों के अनुरूप हों।”
मॉडल रोस्टर और रजिस्टर हुआ जारी
सर्कुलर में बताया गया है कि आरक्षण की नई नीति के तहत मॉडल रोस्टर और नियुक्ति रजिस्टर ‘Supnet’ नामक सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक नेटवर्क पर अपलोड कर दिए गए हैं। इसमें सभी संबंधित पदों और श्रेणियों के अनुसार आरक्षित सीटों का स्पष्ट विवरण दिया गया है। यदि किसी कर्मचारी को इसमें कोई त्रुटि या विसंगति मिलती है तो उन्हें तुरंत संबंधित रजिस्ट्रार को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं।
गैर-न्यायिक पदों पर होगा सीधा लाभ
इस आरक्षण नीति का लाभ निम्नलिखित पदों पर सीधी भर्ती और पदोन्नति में मिलेगा:
- वरिष्ठ निजी सहायक
- सहायक लाइब्रेरियन
- जूनियर कोर्ट असिस्टेंट
- जूनियर कोर्ट असिस्टेंट कम जूनियर प्रोग्रामर
- जूनियर कोर्ट अटेंडेंट
- चेंबर अटेंडेंट