अवैध संबंधों के चलते शिक्षिका की नौकरी पर गिरी गाज, महिला आयोग ने सुनाया बड़ा फैसला

कोरबा। राज्य महिला आयोग की जनसुनवाई में मंगलवार को एक हैरान करने वाला मामला सामने आया। एक विवाहिता शिक्षिका के अवैध संबंधों के चलते उसकी शासकीय सेवा से बर्खास्तगी का निर्णय लिया गया। यह निर्णय आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक की अध्यक्षता में हुई सुनवाई के दौरान लिया गया।
दरअसल, शिक्षिका पर आरोप था कि उसने शादीशुदा होते हुए भी एक अन्य पुरुष से प्रेम संबंध बनाए और उसी से तीसरी संतान को जन्म दिया। यह मामला तब उजागर हुआ जब शिक्षिका की सास ने महिला आयोग में बहू के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में ससुराल पक्ष ने आरोप लगाया कि शिक्षिका ने अपने पति और परिवारजनों को लंबे समय से प्रताड़ित कर रखा है।
प्रकरण की जांच में सामने आया कि महिला शिक्षक पहले अपने प्रेमी पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर रिपोर्ट दर्ज करवा चुकी थी, लेकिन बाद में उसी प्रेमी को दोषमुक्त करवा लिया। इसके बाद उसी शख्स से उसे तीसरी संतान हुई। आयोग ने डीएनए जांच के निर्देश भी दिए थे, जिसे शिक्षिका ने पहले स्वीकार किया, लेकिन बाद में मना कर दिया।
सुनवाई के दौरान शिक्षिका ने स्वयं यह स्वीकार किया कि तीसरी संतान उसके प्रेमी से है। इस कबूलनामे के बाद आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए शिक्षिका की बर्खास्तगी की सिफारिश की। आयोग अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि शासकीय सेवा में रहते हुए किसी भी महिला या पुरुष द्वारा शादीशुदा होने के बावजूद अवैध संबंध बनाए जाना गंभीर अनुशासनात्मक अपराध है, जिस पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
इस दौरान आयोग ने ससुराल पक्ष को निर्णय की प्रमाणित प्रति सौंप दी और यह स्पष्ट किया कि यदि सुलह नहीं होती है, तो वे शिक्षिका के खिलाफ बर्खास्तगी की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं। वहीं, शिक्षिका के पति ने भी पत्नी के साथ रहने से इनकार करते हुए अपनी दोनों बेटियों की कस्टडी की मांग की।
महिला आयोग के इस निर्णय के बाद शिक्षिका को बड़ा झटका लगा है। यह मामला सामाजिक मर्यादा और शासकीय सेवा के आचरण से जुड़े गंभीर सवाल भी खड़ा करता है।