भ्रष्टाचार की जकड़ में शिक्षा विभाग, निलंबन और बड़ी कार्रवाई की तैयारी

सरायपाली। सरायपाली बीईओ कार्यालय में नियमित एवं एलबी शिक्षकों के अवकाश नगदीकरण राशि में करोड़ों की अनियमितता का मामला सामने आया है। शिकायत की जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद संभागीय संयुक्त संचालक ने 4 अगस्त को लिपिक निरंजन कोसरिया को निलंबित कर दिया। साथ ही, पूर्व व वर्तमान तीनों बीईओ के खिलाफ कार्रवाई हेतु मूल प्रतिवेदन डीपीआई रायपुर भेज दिया गया है।
निलंबन अवधि में लिपिक का मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, महासमुंद कार्यालय तय किया गया है और उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा। जांच में खुलासा हुआ कि वर्ष 2018 से 2025 के बीच बीईओ कार्यालय में पदस्थ अधिकारियों की मिलीभगत से सेवानिवृत्ति व मृत्यु अवकाश नगदीकरण राशि में नियमों को दरकिनार कर लाखों रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया। हितग्राहियों को जानबूझकर निर्धारित राशि से अधिक भुगतान “चना-मूर्रा” की तरह बांट दिया गया।
आरटीआई से खुला राज
आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने 4 दिसंबर 2024 को मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग और संभागीय संयुक्त संचालक को लिखित शिकायत की थी। चार सदस्यीय जांच दल ने पाया कि पूर्व बीईओ काशीराम चौधरी और ईश्वर प्रसाद कश्यप के कार्यकाल में भी जमकर गड़बड़ी हुई, जो वर्तमान बीईओ प्रकाश चंद्र मांझी के समय तक जारी रही।
एक-दूसरे पर आरोप
जांच में बीईओ प्रकाश चंद्र मांझी ने आरोप लगाया कि लिपिक ने अनियमितता में प्रमुख भूमिका निभाई और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। वहीं, लिपिक निरंजन कोसरिया ने पलटवार करते हुए कहा कि सभी फाइलें बीईओ की स्वीकृति के बाद ही आगे बढ़ीं, फिर नियम विपरीत राशि की गणना पर भुगतान से पहले बीईओ ने आपत्ति क्यों नहीं दर्ज की?
सूत्रों के अनुसार, जिन हितग्राहियों को अतिरिक्त राशि मिली है, उनकी ओर से अब कानूनी लड़ाई की तैयारी की जा रही है, जबकि दोषी बीईओ और लिपिक के वेतन से वसूली की मांग तेज हो रही है।