छत्तीसगढ़ में बिजली का झटका! घरेलू से लेकर सिंचाई तक महंगी हुई बिजली, जानिए किस स्लैब में कितना बढ़ा बिल!

रायपुर। आम आदमी की जेब पर एक और बोझ डालते हुए छत्तीसगढ़ में बिजली की दरें बढ़ा दी गई हैं। छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग (CSERC) ने मंगलवार को आयोजित प्रेसवार्ता में नए टैरिफ स्ट्रक्चर की जानकारी दी। बढ़ी हुई दरें घरेलू, गैर-घरेलू और कृषि वर्ग – तीनों श्रेणियों के उपभोक्ताओं पर लागू होंगी, जो अगस्त 2025 से प्रभाव में आएंगी।
घरेलू उपभोक्ताओं को अब चुकानी होगी ज्यादा कीमत
घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए प्रति यूनिट 10 पैसे से लेकर 20 पैसे तक की वृद्धि की गई है। हालांकि, कुछ राहत भी दी गई है। गौशाला, बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण तथा सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के स्टे-होम्स में प्रयुक्त बिजली को अब घरेलू दर के दायरे में शामिल किया गया है।साथ ही, घरेलू श्रेणी के अस्थायी कनेक्शनों पर पहले जहां सामान्य टैरिफ का 1.5 गुना शुल्क लिया जाता था, अब इसे घटाकर 1.25 गुना कर दिया गया है। यह उन लोगों के लिए राहत की खबर है, जो त्योहारों या अन्य अस्थायी जरूरतों के लिए बिजली कनेक्शन लेते हैं।
गैर-घरेलू उपभोक्ताओं पर 25 पैसे प्रति यूनिट का असर
दुकानदारों, कार्यालयों और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को अब बिजली के लिए प्रति यूनिट 25 पैसे ज्यादा चुकाने होंगे। इसके अलावा, ऑफसेट प्रिंटिंग प्रेस जैसे उपभोक्ताओं को LV-2 से हटाकर LV-5 श्रेणी में रखा गया है, जिससे उनकी बिजली दरों पर फर्क पड़ेगा।गैर-घरेलू अस्थायी कनेक्शनों पर भी वही रियायत दी गई है जो घरेलू श्रेणी को मिली है – अब इन्हें भी 1.25 गुना टैरिफ देना होगा, न कि 1.5 गुना।
किसानों को राहत और बोझ दोनों
कृषि पंपों पर 50 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई है, लेकिन गैर-सब्सिडी वाले किसानों को बड़ी राहत दी गई है। अब उन्हें 30% तक की ऊर्जा शुल्क में छूट मिलेगी, जो पहले 20% थी। साथ ही, खेतों की रखवाली के लिए लगाए गए पंपों के पास 100 वॉट तक का लाइट और पंखा चलाने की अनुमति यथावत रखी गई है।
नक्सल प्रभावित जिलों में मोबाइल टावरों को प्रोत्साहन
वाम चरमपंथ प्रभावित जिलों में मोबाइल नेटवर्क को मजबूत करने के उद्देश्य से, इन क्षेत्रों में लगने वाले मोबाइल टावरों को बिजली शुल्क में 10% की छूट दी गई है। यह राज्य सरकार की संचार व्यवस्था को सुदृढ़ करने की पहल का हिस्सा है।
बिल बढ़ा, जिम्मेदार कौन?
बिजली की दरों में यह वृद्धि ऐसे समय पर की गई है जब महंगाई पहले से ही आम जनता की कमर तोड़ रही है। हालांकि आयोग का तर्क है कि बढ़ी हुई लागत, वितरण खर्च और सब्सिडी स्ट्रक्चर को संतुलित रखने के लिए यह जरूरी था। अब देखना होगा कि राज्य सरकार उपभोक्ताओं के हित में क्या कदम उठाती है।