छत्तीसगढ़

हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों की बदहाल हालत पर जताई कड़ी नाराज़गी

रायपुर। राज्यभर के सरकारी अस्पतालों, विशेषकर राजधानी रायपुर में स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने कहा कि राज्य की बड़ी आबादी निजी अस्पतालों का महंगा इलाज वहन करने में असमर्थ है और मुख्य रूप से सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों पर निर्भर है, फिर भी उन्हें रजिस्ट्रेशन से लेकर डॉक्टर से परामर्श तक कई तरह की दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है।

एम्स रायपुर की स्थिति पर विशेष टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि यहां मरीजों को रजिस्ट्रेशन के बाद डॉक्टर तक पहुंचने में करीब 48 घंटे लग जाते हैं। लंबी कतारों के कारण मरीजों का बहुमूल्य समय बर्बाद होता है, वहीं सर्जरी के लिए उन्हें चार महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है, जिससे समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा। एक्स-रे जैसी बुनियादी जांच के लिए भी तीन घंटे का इंतजार करना पड़ता है।

कोर्ट ने बिलासपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़े मामले का भी संज्ञान लिया, जहां रिकॉर्ड में 15 डॉक्टर दर्ज होने के बावजूद सुबह 11:15 बजे तक कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था और 250 से ज्यादा मरीज कतार में खड़े थे। वहीं, एक्स-रे यूनिट एक साल से अधिक समय से बंद थी।

इसके अलावा, “हमर लैब” जैसी सुविधा, जहां तुरंत जांच रिपोर्ट मिल सकती थी, छत्तीसगढ़ मेडिकल सेवा निगम से रीएजेन्ट आपूर्ति न होने के कारण लगभग बंद पड़ी थी। इन गंभीर खामियों पर नाराज़गी जताते हुए अदालत ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सचिव को इन मुद्दों पर व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।

चतुर मूर्ति वर्मा, बलौदाबाजार

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