नकली इंजेक्शन की सप्लाई पर हाईकोर्ट का करारा प्रहार, दवा कंपनी पर लगा जुर्माना

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाली एक दवा कंपनी को हाईकोर्ट से करारा सबक मिला है। घटिया और बेअसर हिपेरिन (Heparin) इंजेक्शन सप्लाई करने के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने डिवाइन लेबोरेटरी की याचिका खारिज करते हुए उस पर 25,000 का जुर्माना ठोका है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने सरकार द्वारा कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट किए जाने के फैसले को भी पूरी तरह जायज ठहराया।
हाई रिस्क इंजेक्शन निकला बेअसर, मरीजों की जान पर खतरा
यह मामला हिपेरिन इंजेक्शन से जुड़ा है, जो खून को पतला करने और ब्लड क्लॉट्स (थक्के) को घोलने के लिए इस्तेमाल होता है। यह इंजेक्शन खासतौर पर ओपन हार्ट सर्जरी और एंजियोप्लास्टी जैसे गंभीर इलाजों में दिया जाता है।
रायपुर और अंबिकापुर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों ने पाया कि डिवाइन लेबोरेटरी के इंजेक्शन इस्तेमाल करने पर मरीजों के खून में थक्के जम रहे थे, जबकि इसे पतला होना चाहिए था। इससे कई मरीजों की जान पर संकट खड़ा हो गया।
डॉक्टरों ने किया इस्तेमाल बंद, निजी बाजार से खरीदे इंजेक्शन
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए डॉक्टरों ने सरकारी सप्लाई के इंजेक्शन का इस्तेमाल तत्काल बंद कर दिया और निजी कंपनियों से हिपेरिन इंजेक्शन खरीदकर मरीजों को देना शुरू किया। इसके बाद ही इलाज प्रभावी हो पाया, जिससे यह साफ हो गया कि डिवाइन लेबोरेटरी द्वारा सप्लाई किए गए इंजेक्शन घटिया क्वालिटी के थे।
सरकारी कार्रवाई, कंपनी की कोर्ट में चुनौती
इस मामले में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) की एमडी पद्मिनी भोई साहू ने बताया कि मरीजों की सुरक्षा सर्वोपरि है। शिकायतों की जांच के बाद कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
हालांकि, कंपनी ने अपने बचाव में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मरीजों की जान को खतरे में डालना और फिर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करना गंभीर अपराध है।
हाईकोर्ट का कड़ा संदेश: मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी दवा कंपनी को मरीजों की जान से खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जा सकती। घटिया दवाओं की सप्लाई सिर्फ अनुशासनात्मक कार्रवाई का नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध का मामला है।