इंद्रावती-महानदी इंटरलिंक और बोधघाट परियोजना से होगा बस्तर का कायाकल्प – CM साय ने रखी प्रधानमंत्री के समक्ष माँग

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर बस्तर क्षेत्र के विकास को नई दिशा देने वाली दो बड़ी परियोजनाओं—बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना और इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना—पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने इन दोनों परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि लंबे समय से नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग सिंचाई साधनों के विकास में पिछड़ गया है। इन दोनों परियोजनाओं के माध्यम से न केवल सिंचाई व्यवस्था में व्यापक सुधार होगा, बल्कि यह बस्तर को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत भी बनाएगी।
बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना की खासियत:
इन्द्रावती नदी (गोदावरी की सहायक नदी) पर प्रस्तावित
125 मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता
3.78 लाख हेक्टेयर भूमि में खरीफ-रबी सीजन की सिंचाई
4824 टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन
49 मिलियन घनमीटर पेयजल की व्यवस्था
इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना:
कांकेर जिले की 50,000 हेक्टेयर सहित कुल 3 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित होगी
अनुमानित लागत 20,000 करोड़ रुपये
कुल लागत और लाभ:
दोनों परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत लगभग 49,000 करोड़ रुपये है। बोधघाट परियोजना में लगभग 29,000 करोड़ और इंटरलिंकिंग परियोजना में 20,000 करोड़ की लागत संभावित है। इनसे दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और कांकेर जिले के 269 से अधिक गांवों को प्रत्यक्ष लाभ होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं से बस्तर का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित होगा और यह क्षेत्र न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और कृषि के क्षेत्र में भी मजबूती पाएगा।