तिल्दा में सट्टे का खुला खेल: प्रोटेक्शन मनी दो और धंधा बेहिचक चलाओ

रायपुर | छत्तीसगढ़ में सट्टे का कारोबार दिन-ब-दिन खतरनाक रूप लेता जा रहा है, और तिल्दा इसका मुख्य केंद्र बनकर उभरा है। जिस तरह राजस्थान का फलौदी देश में सट्टे का जन्मस्थान माना जाता है, उसी तरह तिल्दा आज छत्तीसगढ़ में सट्टे का फलौदी बन चुका है। यहां का सट्टा कारोबार न केवल राज्य पुलिस बल्कि भारत सरकार और खुफिया एजेंसियों के लिए भी चुनौती बन गया है।
तिल्दा क्षेत्र में 2016 में जहां केवल चार से पांच खाईवाल थे, वहीं अब यहां से देशभर में जुड़े 16 से अधिक बड़े बुकी सक्रिय हैं, जो गणपति बुक, गजानंद बुक और महादेव बुक जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से करोड़ों का खेल संचालित कर रहे हैं। ये बुकी देश-विदेश तक फैले नेटवर्क के जरिए ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टा संचालित कर रहे हैं, जिसमें 500 से 1000 करोड़ रुपये तक का लेन-देन हो रहा है।
राजनीतिक संरक्षण और नेटवर्क का विस्तार
सबसे गंभीर आरोप यह है कि कांग्रेस पार्टी के कुछ पार्षद इस सट्टा नेटवर्क के प्रमुख सरगना हैं और बड़े एप्स के मालिक बने बैठे हैं। बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी मूल का एक व्यक्ति, जो अब कांग्रेस पार्षद है, इस अवैध कारोबार का नेतृत्व कर रहा है। वहीं, उसी परिवार का एक सदस्य भाजपा से भी जुड़ा हुआ है।
यह सरगना 2018 से 2023 के बीच कांग्रेस शासनकाल में अरबों की संपत्ति खड़ी कर चुका है और अब नेताओं व पुलिस अधिकारियों को पैसा खिलाकर अपना धंधा निर्बाध रूप से चला रहा है।
पाकिस्तानी शरणार्थियों की संदिग्ध भूमिका
तिल्दा में एक समय में बसाए गए पाकिस्तानी शरणार्थियों की आबादी अब क्षेत्र में गहराई तक घुस चुकी है। यही नहीं, कुछ लोगों ने पत्रकार बनकर भी प्रशासन को गुमराह करने की कोशिश की। मीडिया की आड़ में सट्टा संचालन कर रहे लोग आज खुद को सत्ता और प्रशासन से ऊपर मानते हैं।
वांछित अपराधी बबन और उसका खाईवाल पिता
नंदू नामक एक व्यक्ति, जो पहले मूंग का ठेला लगाकर जीवन यापन करता था, अब कांग्रेस के संरक्षण में सट्टा किंग बन गया है। उसका बेटा बबन, जो कई मामलों में वांछित अपराधी है, फिलहाल फरार बताया जा रहा है। यह परिवार 1000 करोड़ की अवैध संपत्ति का मालिक बताया जाता है, और गणपति, गजानंद, महादेव बुक के संचालन में गहराई से शामिल है।
प्रशासन के लिए खुली चुनौती
सट्टा सरगनाओं का दावा है कि “किसी माई के लाल में दम नहीं जो तिल्दा और खरोरा का सट्टा बंद करवा सके”। ये खुलेआम पुलिस और नेताओं की जेब में होने का दावा कर रहे हैं, जिससे आम जनता के मन में प्रशासन के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा है।