रायपुर

अवैध प्लाटिंग पर सरकार का बड़ा एक्शन, 5 डिसमिल से कम जमीन की रजिस्ट्री पर रोक

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जमीन खरीदने की योजना बना रहे लोगों के लिए यह बड़ी खबर है। राज्य सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए पांच डिसमिल (0.05 एकड़) से कम भूमि की रजिस्ट्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह आदेश 20 जुलाई से पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। सरकार का यह कदम प्रदेशभर में तेजी से फैल रहे अवैध प्लाटिंग के गोरखधंधे पर लगाम कसने के लिए उठाया गया है, जो हाल के वर्षों में बेकाबू होता जा रहा था।

अवैध प्लाटिंग का खेल, किसान और खरीदार दोनों परेशान

पिछली सरकार द्वारा छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री में दी गई छूट का फायदा उठाकर जमीन दलालों ने प्रदेश में अवैध प्लाटिंग की बाढ़ ला दी थी। इन दलालों ने किसानों से कौड़ियों के भाव कृषि भूमि खरीदकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा और ऊंचे दामों पर बेच डाला। स्थिति यह हो गई थी कि एक ही खसरा नंबर की जमीन के 20-25 टुकड़े कर रजिस्ट्री की जा रही थी।

भू-माफियाओं के इस खेल को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कई बार आदेश भी जारी किए, लेकिन स्थानीय स्तर पर पंजीयन कार्यालयों में यह अवैध कारोबार बेधड़क जारी रहा। अंततः राज्य सरकार को इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए प्रदेशव्यापी प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

भाजपा सरकार ने पुराना नियम फिर से लागू किया

उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में भी यह नियम लागू था, जिसे बाद में कांग्रेस सरकार ने हटा दिया था। अब भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद एक बार फिर यह प्रावधान सख्ती से लागू कर दिया गया है। विधानसभा के मानसून सत्र में पारित हुए भू-राजस्व संहिता विधेयक 2025 के तहत यह नया प्रावधान जोड़ा गया है।

क्या है नया नियम?

नए नियम के तहत अब किसी भी स्थिति में कृषि भूमि का ऐसा कोई टुकड़ा रजिस्ट्री योग्य नहीं होगा, जिसका क्षेत्रफल 0.05 एकड़ (यानि पांच डिसमिल) से कम हो। इस संबंध में महानिरीक्षक पंजीयन ने सभी जिला पंजीयकों और उप-पंजीयकों को आदेश जारी कर दिया है।

जांजगीर-चांपा के जिला पंजीयक चित्रसेन पटेल ने पुष्टि की है कि जिले में 20 जुलाई से यह नियम लागू कर दिया गया है और पांच डिसमिल से कम की किसी भी भूमि की रजिस्ट्री नहीं हो रही है।

आम जनता पर असर—किसे लगेगा झटका?

इस फैसले का सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो सीमित बजट में छोटा प्लॉट खरीदकर अपना घर बनाने का सपना देख रहे थे। हालांकि सरकार का मानना है कि यह निर्णय राज्य में अनियोजित शहरीकरण पर अंकुश लगाने और कृषि भूमि के संरक्षण के लिए बेहद आवश्यक है।

सरकार का तर्क: जरूरी था यह कदम

राज्य सरकार का कहना है कि अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो कृषि भूमि का अंधाधुंध टुकड़ों में बंटवारा छत्तीसगढ़ की पारिस्थितिकी और खाद्य सुरक्षा दोनों के लिए खतरा बन सकता है। इसीलिए यह फैसला राज्यहित में लिया गया है।

चतुर मूर्ति वर्मा, बलौदाबाजार

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