छत्तीसगढ़ में वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ावा, 18 से 22 अगस्त तक चलेगा प्रशिक्षण कार्यक्रम

रायपुर | छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर में न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं के लिए 40 घंटे का व्यापक मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम आज से प्रारंभ हुआ। इसका शुभारंभ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक रमेश सिन्हा ने किया।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं कार्यपालक अध्यक्ष, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल तथा न्यायाधीश एवं अध्यक्ष, मध्यस्थता केंद्र निगरानी समिति न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू भी मौजूद रहे।
मुख्य न्यायाधिपति सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि मध्यस्थता विवादों के त्वरित और सौहार्दपूर्ण समाधान का प्रभावी माध्यम है। इससे न केवल न्यायालयों का बोझ कम होता है बल्कि पक्षकारों को भी संतोषजनक परिणाम मिलता है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में अब तक 709 मामलों का सफल निपटारा मध्यस्थता के माध्यम से किया जा चुका है, जो इसकी प्रभावशीलता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि यह 40 घंटे का प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिभागियों को मध्यस्थता प्रक्रिया, नैतिक मूल्यों और व्यावहारिक पहलुओं की गहन जानकारी प्रदान करेगा। कार्यक्रम में वास्तविक मामलों का अध्ययन और भूमिका निर्वहन के अभ्यास भी शामिल रहेंगे।
उद्घाटन सत्र में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ओझा, न्यायमूर्ति भूपेंद्र सिंह चौहान, न्यायमूर्ति वर्मेंद्र फडणीस, अधिवक्ता परिषद मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रफुल्ल भारत, मध्यस्थता प्रशिक्षक गिरीजाकला सिंह और नीलम खरे सहित बड़ी संख्या में न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 18 से 22 अगस्त तक आयोजित होगा। इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को नई मजबूती मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।