प्यार में मिला धोखा, इंसाफ की आस टूटी… वीडियो बनाकर दी जान

बिलासपुर – न्यायधानी बिलासपुर में एक हृदयविदारक घटना ने पूरे शहर को भावुक कर दिया है। आनंद देवांगन, सिरगिट्टी थाना क्षेत्र निवासी एक युवा, जो हाल ही में शादी कर जीवन की नई शुरुआत कर रहा था, ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली। लेकिन यह सिर्फ आत्महत्या नहीं, बल्कि एक ऐसी कहानी है, जो प्रेम, टूटे विश्वास और सामाजिक उपेक्षा के गहरे दर्द को उजागर करती है।
प्रेम से शुरुआत, दर्दनाक अंत
आनंद की शादी कुछ महीने पहले हुई थी। उसने पत्नी के साथ शिमला और दिल्ली में हनीमून मनाया था, जिसकी झलकें उसके यूट्यूब चैनल पर अब भी मौजूद हैं। वीडियो में आनंद और उसकी पत्नी की मुस्कुराहटें और साथ बिताए खूबसूरत पल आज किसी मीठी याद की तरह नहीं, बल्कि एक अधूरे सपने की तस्वीर बन चुके हैं।
मायके जाना और संबंधों का बिखराव
शादी के चार महीने बाद, आनंद की पत्नी मायके चली गई और वापस नहीं लौटी। आनंद ने अपने आत्महत्या से पहले बनाए वीडियो में बताया कि वह प्रेग्नेंट थी, लेकिन मायके वालों के दबाव में आकर गर्भपात करवा लिया गया। इस घटना ने आनंद को अंदर से तोड़ दिया।
न्याय की तलाश में टूटा आत्मबल
आनंद ने न्याय पाने की कोशिश की। वकीलों से सलाह ली, कोर्ट जाने की योजना बनाई, लेकिन हर तरफ से निराशा ही हाथ लगी। वीडियो में वह कहता है,
“महिलाओं की बात कोर्ट में ज्यादा सुनी जाती है, मुझे कहीं उम्मीद नहीं दिख रही।”
उसने कहा कि उसके पास सबूत हैं, लेकिन शायद अब इंसाफ की कोई उम्मीद बाकी नहीं बची थी।
वायरल वीडियो और समाज के लिए सवाल
जो वीडियो आनंद ने मरने से पहले बनाया, वह अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। उसमें उसका रोता हुआ चेहरा, टूटे हुए दिल की आवाज, और उसकी बेबसी दिल को झकझोर देती है। उसने अपनी पत्नी पर सास-ससुर से गलत व्यवहार करने के भी आरोप लगाए।
यह वीडियो सिर्फ आनंद की कहानी नहीं, बल्कि उन तमाम पुरुषों की अनकही पीड़ा का प्रतिनिधित्व करता है, जो सुनवाई की कमी, समाज की उपेक्षा, और टूटते संबंधों की वजह से घुटते रहते हैं।
एक अनसुलझा प्रश्न…
आनंद की मौत हमें एक कड़ा सवाल छोड़ गई है –
“क्या हमारा समाज पुरुषों की भावनात्मक और मानसिक पीड़ा को सुनने को तैयार है?”
जब कोई व्यक्ति सिसक-सिसक कर अपनी कहानी सुनाने की कोशिश करता है, और फिर भी उसकी बात अनसुनी रह जाती है – तो यह न केवल एक व्यक्ति की हार होती है, बल्कि पूरे समाज की संवेदनहीनता का भी प्रमाण बन जाती है।