रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष को लेकर घमासान, कांग्रेस में ही मचा घोर विरोध

रायपुर | रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर गहरी दरार सामने आ गई है। एक ओर जहां प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) ने आकाश तिवारी को निगम में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है, वहीं दूसरी ओर नगर निगम और स्थानीय संगठन संदीप साहू को ही नेता प्रतिपक्ष मान रहे हैं। इस मुद्दे ने कांग्रेस के अंदर राजनीतिक विवाद और नाराजगी की स्थिति पैदा कर दी है।
मंगलवार को आयोजित नगर निगम की सामान्य सभा के विशेष सत्र में आकाश तिवारी की अनुपस्थिति और संदीप साहू की सक्रिय भागीदारी ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया। संदीप साहू ने साफ तौर पर कहा है कि वे गुरुवार को विधिवत रूप से पदभार ग्रहण करेंगे।
कांग्रेस के भीतर दो राय
कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि, “नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति एक विधिवत प्रक्रिया से की गई है, जिसमें आकाश तिवारी को रायपुर नगर निगम के लिए चुना गया है। संबंधित आदेश निगम को भेजा जा चुका है, और संगठन को उम्मीद है कि नगर निगम उन्हें ही पद की जिम्मेदारी देगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि यदि कहीं कोई मिस-अंडरस्टैंडिंग हुई है तो संगठन उसे गंभीरता से ले रहा है और जल्द स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी।
संदीप साहू का दावा
संदीप साहू का दावा है कि उन्हें शहर जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से पार्षदों और विधायकों की सहमति के बाद नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति PCC की पर्यवेक्षक प्रतिमा चंद्राकर की उपस्थिति में हुई थी और इसे लेकर नगर निगम आयुक्त और महापौर को पत्र भी भेजा गया था।
उन्होंने कहा, “नगर निगम की ओर से मुझे कमरा अलॉट किया गया है, लेटर पैड भी जारी हो चुका है। पदभार ग्रहण की तैयारी चल रही है और मैं कल गुरुवार को विधिवत पदभार ग्रहण करूंगा।”
संगठन में नाराजगी और विरोध
यह विवाद तब और गहरा गया जब सामने आया कि कांग्रेस द्वारा 16 अप्रैल को जारी की गई सूची में आकाश तिवारी को रायपुर का नेता प्रतिपक्ष और जयश्री नायक को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। इस फैसले से साहू समाज सहित कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी गई।
गौरतलब है कि आकाश तिवारी को कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया था, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी। पार्टी ने तब उन्हें निष्कासित कर दिया था, लेकिन अब उन्हें वापस लेकर नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर पार्टी के भीतर सवाल खड़े हो रहे हैं।